चमक सूरज की नहीं
मेरे किरदार की है
खबर ये आसमां के
अखबार की है
मै चलूं तो मेरे संग
कारवां चले
उंगली पकड़ के जिसकी
खड़े हो गये हम
मां बाप की दुआ से
बड़े हो गये हम
हम आंधियों से जूझ
कर हंसते ही रहे
फौलाद से भी ज्यादा
कड़े हो गये हम।
उकसा मत हम अपनी पर
आये तो शराफत छोड़ देंगें
नूर तू जिस दिन भी
हाथ लगा तबियत से निचोड़ देंगें
मगरूर है जो बहारों
पर उनको कोई जाकर कह दे
हम जलजले हैं जिस
दिन आ गये सारे भरम तोड़ देंगें।
हौसला बाजार मे नहीं
मिलता पैदा किया जाता है
नीलकंठ तो बनना है
सबको जहर पिया नहीं जाता
तड़प हो तो पर्वत का
सीना चीर नीर फूट पड़ता है
सोच को अपनी ले जाओ
उस शिखर पर
ताकि उसके आगे
सितारे भी झुक जायें
ना बनाओ अपने सफर को
किसी कश्ती का मोहताज
चलो इस शान से कि
तूफान भी रूक जाये।
अपने मंसूबो को
नाकाम नहीं करना है,
मुझको इस उम्र मे
आराम नहीं करना है।
हाथो मे लकीरों को
बनाकर चले है हम
कंधो मे आसमान को
उठाकर चले है हम
कह दे कोई जाकर घनी
रातो के तमस को
सूरज हथेलियों मे
उगाकर चले है हम।
ख्वाब टूटे है मगर
हौसले जिन्दा है
हम वो है जहां
मुश्किले शर्मिंदा हैं।
हम उबलते है तो
भूचाल उबल जाते है
हम मचलते हैं तो
तूफान मचल जाते है
हमे बदलने की कोशिश
करनी है ऐ दोस्तों
क्योंकि हम बदलते
हैं तो इतिहास बदल जाते हैं।
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1 comments:
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