हद-ए-शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली
सफर जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
इस बनावटी दुनिया मे कुछ सीधा
सच्चा रहने दो
तन वयस्क हो जाये चाहे, दिल तो
बच्चा रहने दो
नियम कायदों की भट्ठी मे पकी तो
जल्दी चटकेगी
मन की मिट्टी को थोड़ा सा तो गीला
कच्चा रहने दो।
जिंदगी तो उसकी है जिसकी
मौत मे जमाना अफसोस करे
वरना जनम तो हर किसी का
मरने के लिए ही होता है।
मझधार से वापस मुड़ना काफी
मुश्किल होता है
तो किसी का बिखर कर जुड़ना
मुश्किल होता है
घाव तो बहुत आसानी से भर जाते हैं
लेकिन
फिर से बेखौफ गगन मे उड़ना
मुश्किल होता है।
क्यूं वक्त के साथ रंगत खो जाती है
हंसती खेलती जिंदगी भी आम हो जाती है
इक सवेरा था जब हंसकर उठा करते थे
आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।
जिंदगी ने मेरे मर्ज का एक बढ़िया
इलाज बताया
वक्त को दवा कहा और मतलबियों से
परहेज बताया।
जिंदगी जीने का तरीका उन्हीं
लोगों को आया है
जिन्होने अपनी जिंदगी मे हर जगह
धक्का खाया है
जमाया है सर्द रातों मे खुद को,
तपती धूप मे खुद को तपाया है
वही हुए है कामयाब जिंदगी में,
उन्होने ने ही इतिहास रचाया है।
जिन्दगी कभी मुश्किल, तो कभी आसान
होती है
कभी “उफ” तो कभी “वाह” होती है
ना भुलाना कभी अपनी स्माइल
क्योंकि इससे हर मुश्किल आसान होती
है।
जिस रोज पैदा होते है हम
उस रोज बहुत खुशियाँ मनाई जाती है
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक
सपनों की एक दुनिया सजाई जाती है
खुशी और गम की आंखो से
जिंदगी की तस्वीर दिखाई जाती है
जिस रोज मरते है हम
उस रोज हमारी खुबियाँ बताई जाती
हैं।