DOSTI SHAYRI
महफिल
मे कुछ तो सुनाना पड़ता है
गम
छुपाकर मुस्कुराना पड़ता है
कभी उनके हम भी दोस्त थे
दोस्ती वरदान है दोस्ती ईमान है
दोस्ती भरोसा है दोस्ती सम्मान है
अगर मिल जाये एक सच्चा दोस्त
तो मिल जाता सारा जहान है।
ऐ मेरे मालिक मुझे
दिल से निकली दुआ बना दो
मुझे मोहब्बत से
लबरेज कर दो कुछ जुदा बना दो
आज मेरे यारो ने
जन्नत बना दी है जमीं पर
इन्हें फरिश्ते
बनाना है इक पल को मुझे खुदा बना दो।
किस हद तक जाना है ये
कौन जानता है
किस मंजिल को पाना
है ये कौन जानता है
दोस्ती के दो पल जी
भर के जी लो यारों
किस रोज बिछड़ जाना
है ये कौन जानता है।
हम रूठे तो किसके
भरोसे
कौन आएगा हमे मनाने
के लिए
हो सकता है तरस आ
जाये आपको
पर दिल कहाँ से लाये
आप से रूठ जाने के लिए।
वो दिल क्या जो
मिलने की दुआ न करे
तुम्हें भूलकर जिऊँ
यह खुदा न करे
रहे तेरी दोस्ती
मेरी जिंदगानी बनकर
यह बात और है जिंदगी
वफा न करे।
दोस्ती का शुक्रिया
कुछ इस तरह अदा करूँ
आप भूल भी जाओ तो मै
याद करूँ
दोस्ती ने बस इतना
सिखाया है मुझे
के खुद से पहले आपके
लिए दुआ करुँ।
दोस्ती हर चेहरे की
मुस्कान होती है
दोस्ती ही सुख दुख
की पहचान होती है
रूठ भी गए हम तो दिल
पर मत लेना
क्योंकि दोस्ती जरा
सी नादान होती है।
खुशबु मे एहसास होता
है
दोस्ती का रिश्ता
कुछ खास होता है
हर बात जुबां से
कहना मुमकिन नहीं