स्वामी विवेकानन्द का नाम आते ही मन मे श्रद्रा और स्फूर्ति दोनो का संचार होता है, वे एक ऐसे अध्यात्मिक गुरू थे जिन्होने हिन्दू धर्म को व्यवहारिक बनाया तथा भारतीय सभ्यता के निर्माण के लिए हमेशा प्रयासरत रहें। स्वामी विवेकानन्द के विचार ऐसे है कि निराश
व्यक्ति भी अगर उसे पढ़े तो उसे जीवन जीने का एक नया मकसद मिल सकता है।
हंसने के फायदे BENEFIT OF SMILE
- यह सोचना ही सबसे बड़ा पाप है कि मैं निर्बल हूं या दूसरे लोग कमजोर हैं।
- हम वें हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है,इसलिए इस बात का ध्यान रखिए, कि आप क्या सोचते हैं।
- जो सच है उसे बिना डरें कहें धीरे-धीरे लोग सच्चाई को स्वीकार करने लगेगें।
- सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना।
- स्वयं पर विश्वास करो।
- एक समय मे एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पुरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
- जिंदगी मे हमें बने बनाये रास्ते नहीं मिलते है जिंदगी मे आगे बढ़ने के लिए हमे खुद अपने रास्ते बनाने पड़ते है।
- संघर्ष जितना कठिन होता है, सफलता भी उतनी ही बड़ी मिलती है।
- जब तक जीवित हो तब तक अपने और दूसरों के अनुभवों से सीखते रहना चाहिए, क्योंकि अनुभव सबसे बड़ा गुरू होता है।
- निरंतर सीखते रहना ही जीवन है, और रूक जाना ही म्रत्यु है।
- प्रत्येक बड़े काम को तीन चरणों से होकर गुजरना पड़ता है-
विरोध
स्वीक`ति
- जिस व्यक्ति के साथ श्रेष्ठ रहते है, वह कभी अकेला नहीं होता है।
- किसी से कुछ मत मांगिये, किसी से कोई अपेक्षा मत रखिए, चुपचाप अपने कार्य मे लगे रहिए।
- दिल और दिमाग की टकराव मे दिल की सुनो।
- केवल वही व्यक्ति भगवान पर विश्वास नहीं करता है, जिसे खुद पर विश्वास नहीं होता है।
- उठो जागो और तब तक नहीं रूको, जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।
- किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या ना आये आप सुनिश्चत हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहें है।
- विश्व एक व्यायमशाला है जहॉं हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
- एक शब्द मे यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।
- पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
- बस वही जीते है, जो दूसरो के लिए जीते हैं।
- धन्य है वो लोग जिनके शरीर दूसरे की सेवा करने मे नष्ट हो जाते हैं।
- प्रसन्नता अनमोल खजाना है छोटी-छोटी बातो पर उसे लूटने न दे।
- स्वयं मे बहुत सी कमियों के बावजूद अगर मै स्वयं से प्रेम कर सकता हूं तो दूसरो मे थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घ`णा कैसे कर सकता हूं।
- लगातार पवित्र विचार करते रहें बुरे संस्कारो को दबाने के लिए एकमात्र साधन यही है।
- मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
- इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी है।