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ये चमक ये दमक, तेरे दरबार की भजन लिरिक्स ||

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🌺 माँ भवानी के श्रंगार की शोभा 🌺 यह भक्ति गीत माँ भवानी के दरबार की चमक-दमक , उनके अलौकिक श्रंगार और करुणामयी स्वरूप का वर्णन करता है। 🌸 माँ की मुस्कान के आगे सूरज भी फीका है और उनका आंचल तीनों लोकों पर छाया हुआ है। 🙏   🎶 भक्ति गीत 🎶 ये चमक ये दमक, तेरे दरबार की, शोभा बरनी ना जाए, तेरे श्रंगार की ॥   तेरी मुस्कान पे है ये सूरज फिदा, सारे जग में निराली है तेरी अदा, चाँद सी रौशनी है तेरे हार की, शोभा बरनी ना जाए, तेरे श्रंगार की ॥   है ये चौदह भुवन में बसेरा तेरा, तीनो लोको में छाया दे आँचल तेरा, सारी दुनिया है प्यासी तेरे प्यार की, शोभा बरनी ना जाए, तेरे श्रंगार की ॥     है ये करुणामयी माँ भवानी है तू, मेरे जीवन की अनमिट कहानी है तू, क्या मै महिमा बखानु तेरे उपकार की, शोभा बरनी ना जाए, तेरे श्रंगार की ॥   ये चमक ये दमक, तेरे दरबार की, शोभा बरनी ना जाए, तेरे श्रंगार की ॥ Singer – Shahnaz Akhtar यह गीत माँ भवानी की महिमा, करुणा और आभा का अनुपम वर्णन है। 🌷 माँ का दरबार हर भक्त के लिए शक्ति, प्रेम और शांति का अटूट ...

रण में गरज रही रे कालिका भजन | Shahnaz Akhtar | Lyrics in Hindi

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रण में गरज रही रे कालिका | Shahnaz Akhtar नवरात्रि और शक्ति उपासना के अवसर पर माता  कालिका  का यह वीर रस से भरा भजन बेहद लोकप्रिय है। इस गीत में माता के दस हाथों में धारण किए गए शस्त्रों का वर्णन है और यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार रणभूमि में माता कालिका असुरों का संहार कर रही हैं। Singer – Shahnaz Akhtar पहले कर में ध्वजा बिराजी, दूजी घरी है कटार तीजे में त्रिशूल बिराजे, चौथे बरसा डार वो तो हाथ पांच में धनुष धरी मैया, बिन पूछे दन को जाए रण में गरज रही रे कालिका छटवे कर में खप्पर सोहे, साते घरी है गदा आठे में है चक्र सुदर्शन, नौवे शंख बजाए वो तो हाथ दस में धनुष धरी मैया, बिन पूछे दन को जाए रण में गरज रही रे कालिका दूर-दूर सब हुए रण भीतर, कलि दई किलकार अस्त्र-शस्त्र सब छुटन लागे, बहे खून की धार वो तो थर-थर कापे रे असुर दल, बिन पूछे दन को जाए रण में गरज रही रे कालिका हाथ जोड़कर देवता ठाड़े, बोले जय-जयकार रूठी देवी मानत नहीं आए, पहने ना चमको हार वो तो किस विध मना लाऊँ रे कालिका, ज्वाला भड़क ही जाए रण में गरज रही रे कालिका चढ़े नादिया भोले शंकर, समर भूमि मैदान भूत-प्रेत की सेना ल...